दिनांक 27 मार्च, 2015 को भुवनेश्वर स्थित भा.कृ.अनु.प.-केन्द्रीय कृषिरत महिला संस्थान (ICAR-CIWA) ने सी.एस.आइ.आर-खनिज एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (CSIR-IMMT), राष्ट्रीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (NISER), भौतिकी संस्थान (IOP) एवं जीव विज्ञान संस्थान (ILS) के साथ मिलकर संयुक्तर रूप से राजभाषा हिन्दी) के माध्यम से भारत में निर्माण के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की भूमिका विषय पर एक दिवसीय वैज्ञानिक संगोष्ठीन सी.एस.आइ.आर-आइ.एम.एम.टी.(CSIR-IMMT),भुवनेश्वर में आयोजित किया ।

भुवनेश्वरर एवं इसके निकटवर्ती क्षेत्रों में स्थित विभिन्न उच्चत शिक्षा तथा अनुसंधान से जुड़े संस्था नों को एकीकृत रूप में राजभाषा के माध्यसम से उपर्युक्त विषय पर विस्तानर से चर्चा हेतु एक माध्यम तैयार करना इस संगोष्ठीो का मुख्यर उद्देश्ये रहा ।
इस अनोखे पहल से भुवनेश्वथर स्थित भारत सरकार के विभिन्न विभागों के अनुसंधान एवं शिक्षा संस्थानों के बीच सम्बन्ध की एक कड़ी की शुरुआत हुई जो बहुमुखी उद्देश्य हेतु कारगर साबित होगा । परमाणु ऊर्जा विभाग ; जैवप्रौद्योगिकी विभाग; वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद; और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के दस (10) संस्थानों से 100 प्रतिभागी इस संगोष्ठी में भाग लेकर लाभान्वित हुए ।
इस कार्यक्रम को भा. कृ. अनु. प.- केन्द्रीय कृषिरत महिला संस्थान (ICAR-CIWA) के निदेशक के साथ-साथ अन्य चार संस्थानों के निदेशक भाग लेकर संचालित किये। भा. कृ. अनु. प. के अन्य संस्थानों एवं केन्द्रों - केन्द्रीय मीठाजल जीवपालन अनुसंधान संस्थान; भारतीय जल प्रबंधन संस्थान; सी. टी. सी आर. आई का क्षेत्रीय केंद्र; केन्द्रीय बागवानी परीक्षण केंद्र से भी प्रतिभागी भाग लिए । इस संगोष्ठी में भारत में निर्माण के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की भूमिका विषय पर विस्तृत चर्चा हुई एवं कुल 15 विशिष्ट वक्ताओं ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए ।

केन्द्रीय कृषिरत महिला संस्थान के कार्यकारी निदेशक डा. सन्तोष कुमार श्रीवास्तव के अनुसार इस संगोष्ठीज में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विभिन्न शाखाओं के वैज्ञानिकों के बीच विचार विमर्श, भारत में निर्माण हेतु, नए शोध कार्यक्रम बनाने में मददगार साबित हुए ।
इस संगोष्ठीच को विशेष रूप से हिन्दी भाषा में आयोजित करने के कारण प्रतिभागियों को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की जटिलताओं को समझने में आसानी हुई । इस संस्थान से कार्यक्रम का सह-समन्वयन श्री वी. गणेश कुमार, प्रभारी-राजभाषा, द्वारा किया गया ।